मन क्या होता हैं?
कौन हैं मन?
दिल? दिमाग? या इन दोनों से अलग कोई तीसरी चीज…??
मन के साथ जुडी सबसे दिलचस्प बात ये है के इस नाम मन कोई ऑर्गन हमारे शरीर में है ही नहीं लेकिन फिर भी ये मन, हमारे शरीर के हर एक अंग को, हर एक सिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। कैसे??
मन अपने आप में कोई ऑर्गन नहीं हैं बल्कि एक सिस्टम का नाम हैं
ये कुछ ऐसा है जैसे देश की आर्मी होती हैं। जैसे आर्मी अपने आप में कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक सिस्टम का नाम हैं, जैसे हमारी सेना में अलग अलग रेजिमेंट्स है — सिख रेजिमेंट्स, गोरखा रेजिमेंट्स, राजपूत रेजिमेंट ऐसे ही मन के तहत एक पूरी बटालियन काम करती हैं – हार्मोन्स की बटालियन। हार्मोन्स क्या होते हैं ? हमारे शरीर में कुछ ग्रंथियाँ होती है जिनसे स्त्रावित होने वाले रसायनों को हार्मोन्स कहते हैं. ये हार्मोन्स मन के इशारों पर काम करते हैं।
अगर कमाण्डर मजबूत होगा तो फौज अनुशासन में रहेगी
अपने कमाण्डर के निर्देशों का पालन करेगी और अगर कमांडर कमजोर हुआ, नेतृत्व कमजोर हुआ तो फिर उस दस्ते में जितने लोग हों वे सब कमाण्डर हो जाया करते हैं। ठीक ऐसा ही मन के साथ भी होता हैं। मन क कमजोर हो तो हार्मोन्स मनमाना व्यवहार करने लगते हैं।
मन — उनका नहीं, बल्कि वे मन के कमांडर बन जाते हैं।
ये केमिकल्स अंसतुलित हो कर रक्त में उतरते है और शरीर के हर अंग तक पहुँचते है पाचन तंत्र में पहुंचे तो डायबीटीस दे दी… अलसर दे दिया, लंग्स में पहुंचे तो अस्थमा खड़ा कर दिया, गले में पहुंचे तो थायरॉइड दे दिया, दिमाग में पहुंचे तो डिप्रेशन, इन्सोम्निया, एंग्जायटी…. कोई गुस्से से बौखलाया घूम रहा हैं… किसी के मन से अनजाने से डर ही नहीं जाते। कोई रात रात भर सो नहीं पाता तो किसी को आशंकाएँ जकड़े रखती हैं।
क्या हैं ये सब?
अव्यवस्थित हार्मोन्स। यानि एक ऐसी सेना जिसके कमांडर को नहीं पता के नेतृत्व कैसे करना हैं।
नतीजा थका हुआ दिमाग …थका हुआ शरीर… ये घिर घिर के आती हुई नित नयी बीमारियाँ। एक बीमार मन, एक थका हुआ मन आपके हौंसले को, आत्मविश्वास को, चुनौतियों का सामना सकने के जज्बे को तोड़ कर रख देता हैं।
अगर मन इतना महत्वपूर्ण हैं तो मन को सँभालने के लिए कोई व्यवस्था तो प्रकृति ने की होगी। शरीर के हर अंग को सँभालने वाले मन को सँभालने वाले मन को सँभालने के लिये हमारे शरीर के पास ऐसा कोई सिस्टम तो होगा? हैं, बिलकुल हैं। वो कौन हैं और उसके होते हुए भी मन क्यों और कैसे अकेला पड़ जाता हैं इस पर अगले आर्टिकल में बात करेंगे।
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