परवरिश (Parenting)

पापा आप मुझसे हार जाओ ना…!

शाम को ऑफिस से आये पापा की गले में बाहें डाल झूल गयी नन्ही गुड़िया “पापा चलो न कैरम खेलते हैं….” अच्छा अच्छा थोड़ी देर रुको, अभी खेलते हैं। 15 मिनट बाद ही गेम शुरू हो गया था पर ये क्या 10 मिनट भी नहीं चला खेल तो! पापा!! आपने मुझे हराया क्यों!!! मैं नहीं खेलूंगी आपके साथ अब!! …और कैरम के खेल की सब गोटियाँ बिखेर दी गुड़िया ने। “मत खेल… जा! रोंदू बच्चा हैं तू” पापा बोले। बड़ी देर तक मुँह फुला के बैठी रही पांच साल की गुड़िया…उसे ऐसे देख कर घर में सबको हँसी भी आ रही थी और सबकी हँसी पर गुड़िया का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था। ये देख दादू का दिल पिघला, “आजा बेटा हम खेलते हैं, मैं नहीं हराऊंगा तुझे।”  खेलने का मन तो था ही और हारने की टीस ने जीतने की ललक को और भी बढ़ा दिया था तो थोड़ी मान मनुहार के बाद गुड़िया दादू के साथ खेलने को मान गयी। दादू जान-बूझ कर हारते रहे और सब देख कर भी गुड़िया अपनी जीत पर खुश होती रही।

ये आज का नहीं रोज का नज़ारा था। किसी खेल में कोई हरा दे तो मूड खराब।

मम्मा! मम्मा!! देखा आपने! मैं जीत गयी! मैं जीत गयी!!!  अब दादू से जीत कर मूड अच्छा हो गया था तो मम्मा को तो बताना ही था। मम्मा मुस्कुरायी और गुड़िया के गाल थपथपा दिए। उसे खाना खिलाया। किचन का काम समेट कर बैडरूम में आयी तो बिस्तर पर आँखे टिमटिमाती गुड़िया अपने स्टोरी टाइम के लिए तैयार थी। “मम्मा आज कौन सी स्टोरी सुनाओगे वो शेर और चूहे वाली…? नहीं, शेर और खरगोश वाली सुनाओ।” मम्मा मुस्कुरा के पास में बैठ गयी। आज… आज आपको एक न्यू स्टोरी सुनाएंगे। न्यू स्टोरी!! अरे वाह, आज मम्मा न्यू स्टोरी सुनाएगी!!!  तालियाँ बजाती गुड़िया पूरी तरह तैयार थी एक नए अनदेखे सफर के लिए।

“एक बार ना दो दोस्त थे… सोनू और मोनू। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। एक दिन टीचर ने बताया की स्कूल में स्पोर्ट्स कॉम्पटिशन होने वाला हैं। सब बच्चे बहुत खुश हुए। सोनू, मोनू दोनों को बैडमिंटन खेलने का बहुत शौक था। उन्होंने बैडमिंटन के लिए अपना नाम लिखवा दिया। मोनू ने बहुत खुश हो कर स्कूल में सबको बताया कि उसको तो बहुत अच्छा बैडमिंटन खेलना आता हैं.. वो अपने पापा के साथ रोज खेलता भी हैं और रोज उसके ही ज्यादा पॉइंट होते हैं, पापा तो रोज हार ही जाते हैं!  “अरे वाह मैं भी रोज शाम को पापा के साथ बैडमिंटन खेलता हूँ पर पापा से ज्यादा पॉइंट तो नहीं होते मेरे… सोनू ने थोड़ा उदास होते हुए कहा। मोनू ने कहा अरे उसमे क्या हैं तुम पापा को पहले ही बोल दिया करो की मुझसे हारोगे तो ही मैं खेलूंगा वरना नहीं! सोनू ने सोचा, अरे ये तो कभी सोचा ही नहीं की पापा को कह ही दूँ की हार जाओ!

“मम्मा मुझे तो ये ट्रिक पहले से ही मालूम हैं…” गुड़िया खिलखलायी! हम्म… मम्मा फिर मुस्कुरा दी।

स्कूल से आते ही सोनू ने शोर मचा दिया कल मेरा बैडमिंटन का कॉम्पिटिशन हैं! मुझे बहुत प्रैक्टिस करनी हैं! शाम को पापा के आते ही पापा से लिपट गया। पापा चलो प्रैक्टिस करते हैं और आज आप मुझसे हारना भी। हारना भी…? क्यों भाई ऐसा क्यों? पापा ने पूछा। क्योकिं आप ही नहीं हारोगे तो मैं जीतूंगा कैसे और कल तो मेरा कॉम्पिटिशन भी हैं।

पापा मुस्कुराये, बोले बेटा अगर मैं खुद ही हारूंगा तो आप सीखोगे कैसे? और सीखोगे नहीं तो जीतोगे कैसे? चलो प्रैक्टिस करते हैं।

अगले दिन मैच शुरू हुआ। सोनू का गेम सबसे अच्छा था! वो लगातार पॉइंट्स बनाये जा रहा था। सामने था मोनू, उसको तो समझ ही नहीं आ रहा था की उसके तो रोज ज्यादा पॉइंट बनते थे…उसके हर शॉट पर शटल कॉक पापा से गिर जाती थी…फिर आज उसके हर शॉट पर सामने से शॉट कैसे लग रहे हैं! और सामने से आते शॉट इतने तेज कैसे हो गए हैं…!! वो तो.. बहुत धीरे आने चाहिए थे!

गेम ख़त्म हो गया। सोनू जीत गया और मोनू हार गया। स्कूल में सबने सोनू के लिए क्लैपिंग की! प्रिंसिपल मैम ने उसको शाबाश भी बोला। मोनू ने सोनू से पुछा “सोनू तुम तो कहते थे कि तुम रोज हारते हो फिर आज जीते कैसे?” सोनू ने दूर बैठ तालियां बजाते पापा की और देखते हुए कहा “मैं रोज हारता नहीं था मोनू मैं रोज सीखता था! और जो सीखता हैं न वो ही जीतता हैं…!”

कहानी ख़त्म हो गयी थी. गुड़िया ने रोज की तरह “अरे वाह…”  कह कर तालियां नहीं बजायी थी… गहरी सोच में जो था प्यारा सा मुखड़ा।

चलो अब निन्नी करों मम्मा ने माथा चूमते हुए कहा। तभी अचानक, अब तक गौर से कहानी सुन रहे पापा ने गुड़िया को छेड़ ही दिया, “अरे ओ मोनू! क्या सोच रहा हैं?? सो जा…. सो जा… कल दादू से कैरम में जीतना भी है तुझे!

“मोनू नहीं हूँ मैं! सोनू हूँ!!!” गुड़िया गरजी! …और दादू से सीख लूंगी मैं कैरम खेलना और फिर ना आपको…आपको तो जरूर हराऊंगी…!! जो सीखता हैं वही जीतता हैं! हैं न मम्मा…?  हाँ हाँ बिलकुल जीतता हैं!  माँ बेटी एक दूजे को हाई-फाइव देते हुए हँस दिए।  पापा मम्मा का भी हाई-फाइव हुआ पर “साइलेंट मोड” पर! मिशन कम्पलीट जो हो गया था!!

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