मनःस्थली (Mental Health)

हर एक बात पर कह देते हो , तू क्या है!

हर एक बात पर कहते हो तुम कि तू क्या हैं !
तुम्हीं कहो के ये अंदाज-ए-गुफ़तगू क्या हैं !!

मियां ग़ालिब का ही नहीं हमारा भी अक्सर वास्ता पड़ता हैं ऐसे लोगों से…! बड़ा मुश्किल हो जाता है खुद को रोकना जब कोई बेवजह, लगातार हमसे रूखा व्यवहार करता हो। कोई गलती बताये तो बुरा नहीं लगता पर ऐसा करते हुए वह रूखेपन/बदत्तमीजी से बात करें तो वही बात चुभ जाती हैं। तीखे शब्द तीखे चाकू से भी ज्यादा गहरे चुभते हैं। ऐसी ही तीखी ज़ुबान लिए होते है कुछ लोग। तीखा बोलने के लिए इन्हें किसी विशेष कारण की आवश्यकता नहीं होती। यही वजह हैं इन्हें पलट कर तीखा जवाब दे देने की इच्छा होती हैं। पर याद रखिये, आपके पलट कर तीखा जवाब देने से इन को और ताकत मिलती हैं – आपको और अधिक पीड़ा पहुँचाने की। इसीलिए हम बता रहे हैं आपको कुछ ऐसे तरीके जिनसे आप इन्हें एक सीमा पर रोक सकेंगे, बिना उनके स्तर पर उतरें। याद रखिये आपकी प्रतिक्रिया आपके व्यक्तित्व के अनुरूप होनी चाहिए ना कि सामने वाले के व्यक्तित्व जैसी !

  1. धन्यवाद यानि Thank You !

देखने सुनने में साधारण लगने वाले ये शब्द ऐसे लोगों के आगे आपके सबसे शक्तिशाली हथियार हैं! बदतमीजी से बात करने वाले व्यक्ति से वैसे ही बात करने से आप दोनों एक ही स्तर पर आ जायेंगे। याद रखिये की वह उनका स्तर हैं और उस क्षेत्र में वो आपसे कहीं अधिक अनुभवी और कुशल हैं! वहां उतर कर आप उन्हें कभी हरा नहीं पाएंगे बल्कि और अधिक आहत हो कर ही लौटेंगे।

इसलिए आपको उन्हें तीखें जवाब तो बिलकुल नहीं देने चाहिए। उन्होंने आपको तीखे बोल कह कर जो भी सलाह दी हैं उसके लिए उन्हें मुस्कुरा कर धन्यवाद कहिये। आपकी मुस्कराहट और लहज़ा व्यंग्यात्मक नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसा कर के आप उन्हें और भी उकसा देंगे। जब आप विनम्रता से मुस्कुरा कर उन्हें thankyou कह देते हैं तो आप उनकी आलोचना को सकारात्मक रूप से लेते हैं। उन्हें ये सन्देश जाता हैं कि उनके शब्दों के काले साये को आप अपने मन में प्रवेश नहीं देने वाले हैं।

2 . हाँ जी, आप सही कह रहे हैं !

ये सबसे तेज और शालीन तरीका हैं इनसे वार्तालाप खत्म करने का। ऐसे लोग किसी विषय पर जो राय रखते हैं उसे हर हाल में मनवाना चाहते हैं। ये सार्थक चर्चा करने के उद्देश्य से किसी चर्चा में शामिल नहीं होते बल्कि सिर्फ जीतने के लिए बहस करते हैं। ये तर्क नहीं कर पाएंगे तो तीखे शब्दों के सहारे कुतर्क करेंगे। ऐसे में अगर किसी सम-सामयिक विषय पर आप इनके साथ किसी चर्चा में हैं और उस विषय पर इनसे हारना या जीतना आपके जीवन पर कोई असर नहीं डाल रहा हैं तो आपके लिए अच्छा यही हैं की इनसे तर्क न करें बल्कि इनके कुतर्कों को सही बतला कर इनसे वार्तालाप को वहीँ विराम दे दीजिये।

3. रूखेपन को परखें !

कोई आपसे हमेशा रूखेपन से बात करता हैं तो परखें क्या इसके पीछे कोई वास्तविक कारण हैं? उनके व्यवहार को अपने अहम् की चोट मत बनाइये. निष्पक्ष हो कर स्थिति को देखिये की कहाँ-क्या ठीक करना हैं, वह कीजिये। अगर आप कोई कारण नहीं पाते हैं तो ऐसे लोगों को इग्नोर कीजिये। क्योंकि अपने स्वभाव के चलते ये यही व्यवहार बाकि लोगों के साथ भी कर रहे होंगे तो आपको विशेष प्रतिक्रिया देने की आवश्यक्ता नहीं हैं। आपसे प्रतिक्रिया न पा कर ये आपसे आगे बहस नहीं कर पाएंगे।

4. उन्हें बदलने की ज़िद्द मत पालिये !

अगर कोई व्यक्ति रूखेपन को गलत नहीं मानता तो आप उसे विनम्र होने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। बल्कि आपकी लगातार टोकाटोकी स्थिति को और भी खराब कर सकती हैं। आप सिर्फ इतना समझिये कि उनका रूखापन आपकी समस्या नहीं हैं और उन्हें इसका हल स्वयं खोजने दीजिये। आदतन रूखेपन का बदला जाना बहुत कठिन होता हैं विशेष तौर पर तब, जब की वह व्यक्ति बदलना न चाहता हो। इसलिए इस प्रकार के व्यक्ति के व्यवहार को दिल से ना लगाएं।

5. “पींईई” बजने वाला खिलौना मत बनिए !

आपने देखा होगा छोटे बच्चों के पास ऐसे खिलौने होते है जिनको दबाने पर उनसे “पींईई” की आवाज आती हैं। इस खिलौने से बच्चा तभी तक खेलता हैं जब तक वो “पींईई” बजता हैं…! जब वो बजना बंद हो जाता है बच्चे का उस खिलौने से मोह भंग हो जाता हैं। बिलकुल यही असर आपकी प्रतिक्रिया उन पर डालती हैं। आप तिलमिलायेंगे और वे और भी अधिक बदतमीज़ी करेंगे। आप तिलमिला कर प्रतिक्रिया देनी बंद कर दीजिये उनको मज़ा आना बंद हो जाएगा और वो अपनी इस ‘जरुरत’ को पूरा करने के लिए किसी और को खोजेंगे।

यदि आपकी समस्या बहुत गंभीर हैं तो पढ़िए “क्या करें जब कोई अपना ही हो मन का दंश”

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