कार्तिक माह की अमावस्या, दीपावली का महापर्व. यह सिर्फ उत्सव की ही रात्रि नहीं हैं, आध्यात्म जगत में यह रात्रि इतनी अधिक महत्वपूर्ण हैं के इसे “सिद्धरात्रि” कहा जाता हैं. क्या हैं ऐसा इस रात्रि में जो ये मन्त्रों को सिद्ध कर देने का सामर्थ्य रखती हैं?
घड़ियाँ प्रतीक्षा की हो या निर्णय की, दोनों में ही मन का स्थिर और शांत रहना बहुत जरुरी हैं। धैर्य के बिना की गयी प्रतीक्षा, और विवेक के बिना लिए गए निर्णय, दोनों ही नुकसानदेह साबित होते हैं! यानि हर परिस्थिति का सामना करना के लिए हमें मन को स्थिर और शांत बने रहने की ट्रेनिंग देनी हैं।
कैसे दें?
स्वागत, शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा! विज्ञान ने बताया के चन्द्रमा उपग्रह है। धरती के आकर्षण में बँधा घूमे जा रहा है युगों से…धरती का जो आकर्षण चाँद को बाँध रहा, उस आकर्षण से धरती भी अछूती कहाँ है… धरती का 70% हिस्सा पानी है जो चाँद के आकर्षण में बँधा, चाँद को छूने का प्रयास […]
जिंदगी वैसी होती हैं जैसा हमारा मन उसे महसूस करता हैं। मन को वश में करने का मतलब ये नहीं हैं के उस से कुछ भी महसूस करने के अधिकार छीन लिए जाएँ, उसे रूखा सा कर के रख दें बल्कि मन को वश में करने का मतलब होता हैं उसे ट्रांसफॉर्म करना, रूपान्तरित करना, यानी उसकी प्रोग्रामिंग को बदल कर उसे मजबूत बनाना।
और ये जो साँसें आप ले रहे हैं न यही हैं आपके मन की इंजीनियर! जो सारी coding को बदल के रख देगी। कैसे?
मन का अंतर्द्वंद सिर्फ अनिर्णय की अवस्था ही नहीं देता, अनचाहे निर्णय लेने को बाध्य भी करता हैं. इसका असर सिर्फ हमारी भावनाओ पर ही नहीं पड़ता बल्कि शरीर के अंदर का पूरा मौसम इसकी चपेट में आता है. शरीर के सभी अंग एक निश्चित तरह की प्रोग्रामिंग के तहत काम करते हैं तो शरीर के भीतर का मौसम संतुलित बना रहता हैं। शरीर के अंदर का मौसम यानी…