Sex Education परवरिश (Parenting)

मम्मा सेक्स क्या होता है ?

मेरी उलझन बहुत अजीब है, अजीब ही नहीं बल्कि मैं अंदर तक हिल गयी हूँ, ऐसी है। मेरा सात साल का बेटा है। पड़ोस के बच्चे अक्सर हमारे घर खेलने आते हैं और मेरा बेटा भी पास के घरों में खेलने जाता रहता है। आज भी बच्चे कमरे में खेल रहे थे। तीन चार बच्चे थे फिर दो बच्चे अपने घर चले गए। थोड़ी देर कोई आवाज़ नहीं आयी तो कमरे में गयी तो देखा के मेरा बेटा और एक बच्ची (वो भी सात साल की ही है) दोनों बेड पर एक दूसरे से लिपटे हुए थे। उनके कपड़े भी उतरे हुए थे। मैं ख़ुद पर क़ाबू नहीं रख पायी और ज़ोर से चिल्ला कर उनको अलग कर दिया। मैंने बेटे को थप्पड़ भी लगा दिया।

वो रोते हुए मुझसे बोला आप और पापा भी तो ऐसे करते हो हम भी मम्मी पापा का गेम खेल रहे थे।

मेरा दिमाग़ सुन्न हो रहा है मुझे नहीं पता मैं क्या कहूँ क्या ना कहूँ। मैं अपने बच्चे से नज़रें नहीं मिला पा रही हूँ। हम उसके सो जाने के बाद ही संबंध बनाते हैं। उसने हमें ऐसे कब देख लिया मुझे यह भी नहीं पता।

मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। अगर उस बच्ची के माता पिता ने मुझसे सवाल किए तो मैं क्या जवाब दूँगी। मेरे बेटे की आँखों में सवाल हैं, मैं उसे क्या जवाब दूँ?? काश आज का दिन मिट जाए। मैं इतने छोटे बच्चे को क्या समझाऊँ, कैसे समझाऊँ??”

यह या इस से मिलती जुलती स्थितियाँ आजकल अक्सर देखने में आने लगी हैं। समय से पहले यौन संबंधों को ले कर जिज्ञासु होते बच्चों के प्रश्न अभिभावकों के लिए बड़ी विचित्र स्थितियाँ उत्पन्न करने लगे हैं। कैसे संभालें इन परिस्थितियों को? क्या जानकारी दें, किस हद तक दें और कैसे दें?? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो हर माता-पिता के दिल-दिमाग को विचलित किये रखते हैं।

सबसे पहले ऊपर दी गयी परिस्थिति में क्या किया जाये इस पर बात करते हैं। बच्चों को ऐसी आपत्तिजनक स्थिति में देख कर क्या करना चाहिए था? संयम खो देना स्वाभाविक तो था परन्तु उचित नहीं था। बच्चों को तुरंत रोकना जरुरी था। उन्हें अपने कपड़े पहनने को कहने के बाद संयत लहजे में उनसे पूछना चाहिए कि वे क्या कर रहे थे? जवाब आ सकता है “मम्मी पापा का गेम खेल रहे थे” अगर उस समय आप स्वयं को संयत न रख पाएँ तो बच्चों से कुछ देर बाद बात करें। उनसे कहिये कि हम इस बारे में थोड़ी देर बाद बात करते हैं।

बच्चे के इस जवाब से आप इतना तो जान चुके हैं कि उसने आपको ऐसी अवस्था में देखा है और शायद एक से ज्यादा बार देखा है। इसलिए अब आपको उसे सही जानकारी देनी होगी। आपके मन में बहुत सी बातें चल रहीं होंगी जैसे –

  • आपको बच्चे के सो जाने को ले कर गलत अंदाज़ा नहीं लगाना चाहिए था.
  • आपको बच्चे के सोने की व्यवस्था अलग कमरे में करनी चाहिए थी.
  • आपको अलग कमरे में चले जाना चाहिए था.
  • आपको कोई और उपयुक्त समय चुनना चाहिए था.

यह सब जो आप “अब से” करने का सोच रहे हैं इसकी व्यवस्था आपको बच्चे के दो वर्ष के हो जाने पर ही कर लेनी चाहिए। बच्चा “अबोध” की श्रेणी में सिर्फ दो वर्ष की आयु तक ही होता है हालाँकि उस समय भी आपको पूर्ण सावधानी रखनी चाहिए पर दो वर्ष की आयु का बच्चा अगर आपके साथ आपके बिस्तर/कमरे में सोता है तो यह समझ लीजिये कि वह स्थान संबंध बनाने के लिए उपयुक्त नहीं रह गया है। “वह सो गया है और सोया ही रहेगा” यह भ्रम आपको शर्मिंदगी में डाल सकता है चाहे उसी वक़्त या किसी और समय जैसा की ऊपर बताई परिस्थिति में हुआ।

एक गलती आप पहले कर चुके हैं अब इस विषय पर “हो गया सो हो गया, बात पर मिट्टी डालो…भूल जाओ” वाला रवैया रखना आपकी दूसरी भूल होगी !

बच्चे की जिज्ञासा उसे नए प्रयोग करने को उकसायेगी और उसे पता है कि “इस बार आपके सामने नहीं करना है.” — यह बहुत खतरनाक परिस्थिति को न्यौता दे देना होगा !

अपने आप को इस बातचीत के लिए मानसिक रूप से तैयार कीजिये ताकि आप बच्चे से पूरी सहजता और गरिमा से बात कर सकें। आप एक बहुत “सामान्य प्रक्रिया” के बारे में बात कर रहें हैं आपको उन्हें बस यह बताना है कि वह प्रक्रिया फिलहाल उनके लिए नहीं है।

बच्चों को बताइये कि मम्मी पापा शादीशुदा जोड़ा हैं और शादी के बाद पति और पत्नी इस तरह अपना प्यार जाहिर करते हैं। ऐसा सिर्फ पति-पत्नी ही कर सकते हैं। हर रिश्ते में प्यार दर्शाने के अलग अलग तरीके होते हैं। छोटे बच्चे अपने मम्मी-पापा, दादा-दादी, नाना-नानी की गोद में बैठ सकते हैं, बड़े बच्चे प्यार जताने के लिए मम्मी-पापा की गोद में सिर रख सकते हैं पर वे गोद में बैठते नहीं हैं, ऐसे ही दोस्त हाथ मिलाते हैं, और बहुत गहरे दोस्त हों तो गले मिलते हैं पर वे एक दूसरे की गोद में थोड़े न बैठते हैं!! (हँसिये भी और उन्हें हँसाइए भी इस से बातचीत सहज होती जाएगी) ऐसे ही जब दो लोगों की शादी हो जाती है तो उनका प्यार जताने का अलग तरीका होता है। हर काम को करने का तरीका हर उम्र के लोगों के लिए अलग होता है और हम जिस उम्र में होते है वैसे वाला तरीका ही अपनाते हैं। जैसे बच्चों को गाड़ी में आगे की सीट पर नहीं बैठना चाहिए। वहां सिर्फ बड़े लोगों का ही बैठना सेफ होता है। सबसे जरुरी बात कि हमें अपनी और दूसरे की बॉडी की रिस्पैक्ट करनी चाहिए। छोटे बच्चे कपड़े बदलना सिर्फ मम्मी या पापा के सामने कर सकते हैं या फिर अगर डॉक्टर अंकल को कोई चैक-अप करना हो तो मम्मी/पापा के हाँ कहने पर आप ऐसा कर सकते हो। और किसी के भी आगे आपको अपने कपड़े कभी नहीं उतारने चाहिए।

सात आठ वर्ष तक के बच्चों के लिए इतना स्पष्टीकरण काफी होता है। परन्तु बच्चों को कुछ जरुरी जानकारी देने के लिए हम ऐसी अजीब और शर्मनाक परिस्थिति के घटने का इंतज़ार नहीं कर सकते। हो सकता है ऐसा कुछ आपकी जानकारी में आये और यह भी हो सकता है कि उनकी जिज्ञासा आपसे पहले किसी गलत व्यक्ति की जानकारी में आ जाये और वे बच्चों के साथ कोई भयानक खिलवाड़ कर बैठे इसलिए बहुत जरुरी है सेक्स एजुकेशन बच्चों को दी जाये। सेक्स एजुकेशन किस उम्र से शुरू की जाये और किस उम्र के बच्चों को क्या और कैसे बताया जाये इस पर अगले आर्टिकल में चर्चा करेंगे।

सात वर्ष तक के बच्चों को दी जाने वाली सेक्स एजुकेशन का स्वरूप जानने के लिए पढ़िए अगला आर्टिकल —मम्मा मैं कहाँ से आया??

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