पुरानी कहावत है कि चावल पक गए हैं या नहीं यह जाँचने के लिए चावल का एक दाना देख लेना काफ़ी होता है। सारे चावलों को दबा कर “परखने” की ज़रूरत नहीं होती। परखने की इस “तकनीक” के हम इतने क़ायल हैं कि सामने चावल हो या इंसान सभी के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल करने लगते हैं। आप कह सकते हैं, “हमारे पास बुद्धि है, बरसों का अनुभव है, तो क्या सामने वाले को “परखें” भी ना? अगर इतना भी न कर सकें तो फिर किस काम का सारा ज्ञान!”
क्या खाना चाहिए — पता है। कब खाना चाहिए — ये भी पता है। पर क्या करें… “ ख़ुद को रोक नहीं पाते ” यही उलझन आपकी भी है तो इसका मतलब है कि आपने अपने घर (शरीर) के द्वार कई अनचाहे मेहमानों के लिए खोल रखें हैं जैसे — मोटापा, डायबिटीज, आर्थराइटिस, अनीमिया वग़ैरह […]
सपने हमेशा से एक रहस्यमयी चीज रहें हैं। हम सब हर रोज सपने देखते हैं कुछ सपने हमें याद रहते हैं, कुछ नहीं। कुछ सपने ख़ुशी देते हैं तो कुछ डराते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो पहेली सा उलझा जाते हैं। सदियों से सपने एक रहस्यमयी चीज रहें हैं। पंडित इसे शगुन-अपशगुन से […]
जिंदगी जैसे मशीन सी चल रही है बे-रौनक… बे-मतलब सी. अपने आस पास सब नकली सा लगता है… बुझा बुझा सा! जाने क्यों सब कुछ होते हुए मन खुश नहीं रहता। क्या आपको भी लगता है कभी ऐसा… कि कुछ तो है जो मन को चाहिए, पर मिल नहीं रहा है! यह कुछ ऐसा है […]
“जो चीज़ प्रचुरता में ना मिले उसकी भूख बाकी रह जाती है” यह बात हमारे जीवन से जुड़ी हर वस्तु, हर भाव पर लागू होती है। ऐसे ही कुछ अति महत्वपूर्ण भाव हैं – सम्मान, स्वाभिमान, और निजी निर्णय लेने की स्वतंत्रता जो हमारे समाज में आज भी स्त्रियों को इतनी मात्रा में नहीं मिलती […]