परवरिश (Parenting)

बच्चों की मनमानी (Whining) – ऐसे करें इलाज !

चिंटू मैंने कहा ना कोई चिप्स नहीं मिलेगा अभी।

नाआआआSSS मम्मी मुझे चाहिए, अभी चाहिए मम्मी दोनाआआआआ  मम्मी उउउउउ देदोनाआआ….मम्मीईई……!!!

परेशान कर देता है ना बच्चे का ये रोनी आवाज़ बना कर किसी मना की गयी चीज को माँगते रहना… और लगातार माँगते रहना। आप मना करती हैं, पर वो मानते ही नहीं। सारे घर में पीछे-पीछे घूमते रहेंगे और यही एक आवाज़ फुल वॉल्यूम पर चालू रहेगी – मम्मी देदोनाआSSS

आप सच में चाहती हैं उसे चुप करा देना… सिर में दर्द करा देतीं हैं ये आवाजें। और क्या करती हैं फिर आप ?

लो! ये लो चिप्स! अब चुप हो जाओ…और जाओ यहाँ से!!  बच्चों की ऐसी आदतों से घर के लोग तो परेशान रहते ही हैं और जो कहीं कोई मेहमान भी हो घर में तो बच्चों को चुप करवाने के लिए उनके आगे समर्पण के अलावा क्या चारा क्या बचता हैं? और जैसे ही आप उन्हें उनकी मनचाही चीज दे देते हैं, तुरंत ही घर का शांत सुखद वातावरण लौट आता है। फाइनली सब ठीक हो जाता है। सब ठीक हो तो जाता है पर कितनी देर तक ठीक रहता हैं? सिर्फ तब तक, जब तक कि उनका दिल किसी और चीज पर नहीं आ जाता! और जब उनका दिल किसी चीज पर आएगा तो उनको पता हैं के उस चीज को कैसे हांसिल करना हैं क्योंकि आपने ही अभी-अभी बच्चे को सिखाया था कि “रोनी आवाज़” बहुत काम का तरीका है! 

बच्चे का यह लहज़ा माँ को गुस्सा दिला देता है और आपका अनुभव यह कहता है कि उनका ये बाजा ऐसे ही बजता रहेगा जब तक की वह चीज दी न जाये. आपके बच्चे का अनुभव भी यही कहता है कि बिना रुके बस रिरियाते रहो सफलता मिलनी तो तय है!

आप सोच रहीं होंगी यह आपने कैसे सिखाया?

देखिये- जैसे ही आपका बच्चा आपसे कुछ मांगता है आपका शुरूआती रवैया कुछ ऐसा होता है – 

  • तुम ऐसे रीरियाओगे तो मैं नहीं सुनूंगी (और आप इसके बाद भी सुनती रहती हैं)  
  • आपने बच्चे को कहा ‘नहीं’ फिर उसने रिरियाना शुरू किया और आपको लगा हे भगवान अब फिर से वही सब शुरू होने वाला है… इसलिए आप मान गए। 
  • आपने बच्चे को कहा ‘नहीं’ और 10 मिनट तक आप दृढ़ता से कायम भी रहें पर 10 मिनट बाद रोना सुनना आपकी बर्दाश्त से बाहर हो गया. ओफ्फोह ये लो चिप्स अब चुप हो जाओ ! 
  • तो हाँ, आपके बच्चे ने जान लिया है रिरियाना कितने काम की चीज है। और अब सिर्फ इसलिए कि इसे सुन कर मम्मी का मूड खराब हो रहा है, वो इसको छोड़ने वाले नहीं हैं !
  • बच्चों के इस व्यवहार को बदलने का सिर्फ एक तरीका है और वो है खुद आपका व्यवहार बदलना। बजाय इसके कि आपकी प्रतिक्रिया और सारे जतन इस बात पर हों कि किसी तरह बच्चे का रिरियाना बंद हो जाये, आपको एक कड़वे लेकिन बहुत महत्वपूर्ण तथ्य को स्वीकार करना होगा कि आप जबरदस्ती बच्चे का रिरियाना बंद नहीं करवा सकते। इसलिए जरुरी है कि बच्चों को ये बात अच्छी तरह से समझ आ जाये कि रिरियाने से कोई फायदा नहीं होता। एक बार उन्हें ये समझ आ गया तो बस ! रिरियाना बंद ! सुन के अच्छा लगा न! और ये इतना मुश्किल भी नहीं है। मुश्किल है बस पहला कदम – पर, एक बार वो क़दम उठा लिया तो समझिये आपने आधी लड़ाई तो जीत ही ली। और यह पहला कदम है अपने आप को एक प्रतिरक्षा कवच पहनाना — रिरियाने के सामने।

अब आप कहेंगे कि यही तो बात है कि रिरियाने की आवाजें सिर में दर्द देती हैं, खीज भरती हैं, तो प्रतिरक्षा कैसे हो? 

यहाँ आपको अपने दिमाग के साथ एक ट्रिक खेलनी है। कई बार बस में या हवाई जहाज में सफर किया होगा आपने, तो सोचिये की सफर के दौरान अगर किसी और का बच्चा ऐसे ही रोना शुरू कर दे तो आप क्या करेंगे? आपको तो कोई अधिकार भी नहीं की आप सहयात्री से कहें कि आपका बच्चा जो मांग रहा है…दे दो और न ही आपको अधिकार है कि आप वो चीज उस बच्चे को दे दें। तो एक ही विकल्प बचता है आपके पास- इग्नोर करने का…और आप अपना ध्यान कहीं और लगा लेते हैं! इग्नोर करते समय क्या आप इन सब दृश्य के लिए खुद को जिम्मेदार मान रहे होते हैं? नहीं न।

चलिए अब कल्पना कीजिये अपने ही रिरियाते हुए बच्चे की और आपको ठीक वैसा ही व्यवहार करना होगा जैसा आप तब करते। हालाँकि इस समय आपको अपने बच्चे के प्रति लापरवाह नहीं हो जाना है। आपकी नज़रों के दायरे में ही रहेंगे वे पर ‘मेरा बच्चा दुखी है – मैं ना कह रही हूँ इसलिए ये सब हो रहा है – मेरी एक हाँ से ही ये सब बंद हो सकता है’ वाली ग्लानि से खुद को दूर रखें !

अगली बार जब आपका बच्चा रिरियाना शुरू करे तो एक गहरी लम्बी सांस लीजिये अपने प्रतिरक्षा कवच को पहनिए – याद रखिये की आपका ये “नन्हा आफत का पुलिंदा” आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है! उसे बस “कुछ” चाहिए और “उसे” पाने के लिए वो आफत मचाने जा रहा है। आप शांत और दृढ़ आवाज और भावों के साथ कहिये, ‘मैंने सुना कि तुमको मोबाइल पर और वीडियो देखना है पर तुम्हारा आज का मोबाइल इस्तेमाल करने का समय ख़त्म हो चुका है और अब, मेरा जवाब ‘ना’ है। या ‘मुझे पता है कि तुमको आइसक्रीम पसंद है पर इस समय आइसक्रीम नहीं खा सकते’

अगर वो रिरियाना चालू रखे, तो अपना जवाब तुरंत दोहराएं (दोहराने में देर करने से उसको ये लगता है कि माँ सुन तो रही ही है तो कुछ देर रिरियाने से शायद काम बन जाये). अपना जवाब दोहराने के साथ ही ये भी कहें कि तुम रिरियाते हुए बात कर रहे हो और मैं इस लहजे को नहीं सुनूंगी। तुमको ऐसे ही बोलना है तो अपने कमरे में जाओ और वहां जा कर अकेले में रिरिया सकते हो।’

बच्चे से ये सब कहना आसान है पर असली बात है ये सब निभाना। सिर्फ रटे रटाये तरीके से यह कहने के बाद अगर आप अपने बच्चे को सारे घर में अपने पीछे पीछे घूमने देंगी तो बात नहीं बनेगी। इसलिए उन्हें दृढ़ता मगर शांत सपाट लहजे में कहिये। ‘जब तुम अपने सही लहज़े में बात करोगे तब मैं तुम्हारी बात सुनूँगी’

यकीन रखिये उस लहजे में अपने बच्चे की बात सुनने से इंकार कर के आप उनके मासूम मन को कोई चोट नहीं पहुंचा रहीं हैं। ना ही अपने उद्विग्न बच्चे को बात करने का सही तरीका अपनाने को कहने में भी कोई बुराई है। उसे यह बता देने में भी कोई नुकसान नहीं है कि उसे रिरियाते हुए पूरे घर में घूमने की इजाजत नहीं है।

इस योजना से रिरियाना पहली बार में ही बंद हो जायेगा ऐसा नहीं है। पर आपके इस व्यवहार से रिरियाने वाली ट्रिक पर बच्चे का यकीन जरूर कम हो जायेगा और 2-4 बार में उसे ये अच्छी तरह से समझ आ जाएगा की रिरियाने का जमाना गया… अब इस से कुछ नहीं होता !

पर जब तक वो शानदार दिन आ नहीं जाता तब तक अपने प्रतिरक्षा कवच को पहने रखें ! और सावधान ! एक बार, सिर्फ एक बार भी, अगर आप रिरियाने के आगे नरम पड़ीं तो याद रखिये आपके बच्चे का इस तरीक़े पर यकीन फिर से लौट आएगा और आपको ये सारा-मिशन-फिर-से-शुरू-करना-होगा !! 

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