ख़ास हैं शरद पूर्णिमा!
स्वागत, शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा! विज्ञान ने बताया के चन्द्रमा उपग्रह है। धरती के आकर्षण में बँधा घूमे जा रहा है युगों से…धरती का जो आकर्षण चाँद को बाँध रहा, उस आकर्षण से धरती भी अछूती कहाँ है… धरती का 70% हिस्सा पानी है जो चाँद के आकर्षण में बँधा, चाँद को छूने का प्रयास करता रहता है!
जल, सिर्फ़ समंदर, नदियों के पास ही थोड़े न हैं, हमारे शरीर में भी ठीक धरती की तरह 70% पानी ही तो है। उसमें भी तीन अंग जो जल का अधिकांश अंश रखते हैं वे हैं – हृदय, दिमाग़ और lungs. तो बताइए होगा न चाँद का असर आपकी सोच, जज़्बात और साँसों पर!
तो बस, इसीलिये कवि मन इस पर कविताएँ कहता है !
पूर्णिमा और अमावस्या दिमाग़ यानी विचारों को उद्धेलित करने की क्षमता रखती है !
योगी रात रात भर जागते है के साँसो को साधना है तो चन्द्रमा सहायक है!
आप कवि हों, विचारक हों या फिर के योगी, अपनी सोलह कलाओं के साथ आए चन्द्रमा के शीतल तेज से आनंदित होने की रात्रि – शरद पूर्णिमा की आप सबको शुभकामनाएँ