जब डिप्रेशन उलझाए हर बात…इस तरह दें अपना साथ !
डिप्रेशन से जूझते वक़्त हर छोटी से छोटी बात भी चुनौती बन जाती हैं। काम पर जाना हो, रिश्तेदारियाँ निभानी हो, दोस्तों से मिलना हो यहाँ तक की सुबह बिस्तर छोड़ना भी एक दुष्कर कार्य बन जाता हैं। पिछली बार हमने बात की थी क्या हैं ये डिप्रेशन (डिप्रेशन – रोग या सिर्फ मन का वहम).
आज जानते हैं की डिप्रेशन के इन लक्षणों के होते हुए भी अपनी दिनचर्या में कैसे बदलाव ला कर और किन बातों को अपना कर अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाया जा सकता हैं। ये सभी टिप्स उनके लिए भी उपयोगी हैं जो एंग्जायटी के शिकार हैं।
1. अपना सपोर्ट सिस्टम तैयार कीजिये –डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए सबसे जरुरी हैं उसे स्वीकार करना। नहीं, स्वीकार करने का अर्थ यह नहीं हैं उसे अपना लेना हैं, बल्कि यह स्वीकार करना हैं की “एक दिक्कत हैं, जिसके लिए सहायता की आवश्यकता होती हैं।” ऐसा करने से आप अपने अहम् पर चोट या बेचारगी की भावना या किसी भी तरह की कुंठा से बच सकेंगे। डिप्रेशन के दौरान थेरेपी और दवाओं के साथ साथ एक मजबूत सामाजिक सम्बल का होना भी बहुत मददगार सिद्ध होता हैं।
यहाँ सपोर्ट सिस्टम का मतलब आपके परिजन, आपके दोस्त हो सकते हैं जिन पर आप निश्चिन्त हो कर भरोसा कर सकें। डिप्रेशन एक लम्बा सफर हैं इसलिए आपके नज़दीकी लोगों का साथ आपके सबसे ज्यादा काम आता हैं। अपनी उलझनों से उन्हें अवगत करवाइयें उनकी सहायता लीजिये।
सपोर्ट सिस्टम का अर्थ इंटरनेट पर मौजूद डिप्रेशन हेल्प ग्रुप्स भी हो सकते हैं। वहां आप अपनी बात अपनी भावनाएं खुल कर व्यक्त कर सकते हैं वहां सभी लोग इस स्थिति को भली भांति समझने वाले होते हैं इसलिए उनसे बात करना आपको सहज लगता हैं और बहुत से काम के टिप्स भी आपको मिल सकते हैं।
2. सोचने का तरीका बदलिए-जब हम तनाव में होते हैं हमारे शरीर में उस तनाव का मुकाबला करने वाला हार्मोन स्रवित होता हैं जो हमें एक बेचैन स्थिति में ला देता हैं यह जरुरी हैं क्योकिं तभी हम उस परेशानी का हल खोजते हैं पर सारा दिन और कई कई दिन सिर्फ उस समस्या को सोचते रहने से उस हार्मोन का अनवरत स्रवण दिमाग को एक स्थायी बेचैनी की अवस्था में ला देता हैं और फिर एक समय आता हैं जब समस्या के बारे में सोचें या न सोचें मन विचलित ही रहता हैं। इसलिए जरुरी हैं की समस्याओं को सुलझाने की सही तकनीक अपनायी जाये ना की हर वक़्त उनकी जुगाली की जाये।
और ये सही तकनीक क्या हैं ?
अगर कुछ बातें हैं जो आपको दिन रात परेशान करती हैं तो बजाय इसके की आप हर वक़्त उनके बारे में सोच सोच कर दुखी हों या तनाव में आएं आप उस पर चिंता करने का एक समय निश्चित कर लीजिये। दिन का कोई भी समय (पर ये समय सुबह उठने के तुरंत बाद और रात को सोने से तुरंत पहले का नहीं होना चाहिए) जैसे शाम को 5:00-5:30 का समय आशंकाओं पर चिंतन करने के लिए निश्चित कर लिया।
दिन में जब भी आशंकित करने वाले विचार आये तो खुद से कहिये की “अभी नहीं, इस बारे में शाम को सोचेंगे और जरूर सोचेंगे।” और दिन का अधिकांश समय सार्थक कार्यों और विचारों को दीजिये।
ऐसा करने से हर समय आपके दिमाग को विचलित करने वाला हार्मोन स्रवित नहीं होता रहेगा।
शाम को या जो भी समय आपने निर्धारित किया हैं उस समय अपनी हर एक आशंका के विषय में सोचिये, आप पाएंगे की जब आपने अलग से उनके लिए समय निकाला हैं तो उन में से अधिकांश तो अपनी तीव्रता (intensity) खो चुकी हैं और जो वास्तव में चिंता योग्य बाते हैं वे ही आपके सामने आएँगी, अब अगला कदम हैं उन्हें परखना और सुलझाना। ध्यान रहें, “समस्या हैं…. हाय समस्या हैं…. मेरे ही साथ में क्यों ये समस्या हैं… ” इसे चिंतन नहीं कहते।
चिंतन यानि –
- समस्या क्या हैं – किस प्रकार की असुविधा अनुभव हो रही हैं
- समस्या का कारण क्या हैं?
- परिस्थिति /व्यक्ति जिससे ये समस्या जुड़ी हैं क्या वह मेरे कहने/समझाने से परिवर्तित होगा ?
- यदि हाँ तो प्रयास कीजिये यदि नहीं तो आप स्वयं अपने कार्य को उस परिस्थिति/व्यक्ति के बिना कैसे कर सकते उन विकल्पों पर गौर कीजिये।
- सबसे महत्व पूर्ण बात “सही निर्णय लेते समय कभी भी सबको खुश न रख पाने की ग्लानि को ना आने दे।”
3. अच्छी नींद को सुनिश्चित कीजिये –नींद और मूड (mood) का बहुत गहरा सम्बन्ध हैं। अनियमित नींद और डिप्रेशन साथ साथ पाए जाते हैं। हो सकता हैं आपको नींद आती ही न हो या बहुत नींद आती हो और दोनों ही स्थितियों में आपका दिमाग फ्रेश नहीं हो पाता, एक थकान सी दिल दिमाग पर बनी रहती हैं। सोने की जगह और सोने का माहौल और सोने का तरीका यह सब बहुत मायने रखते हैं।
अपने बिस्तर को साफ़ सुथरा रखें। चद्दर, तकिये के गिलाफ धुले हुए और दुर्गन्ध मुक्त होने चाहिए। आजकल कई फेब्रिक फ्रेशनर्स उपलब्ध हैं अगर महंगें फ्रेशनर्स न लाना चाहे तो चद्दर, तकिये के गिलाफ को धोते समय उसमें बेकिंग सोडा डाल दिया करें इससे वे बिलकुल गंधमुक्त और फ्रेश हो जायेंगें।आपके कमरे में खुली ताज़ी हवा के आने जाने का प्रबंध अवश्य होना चाहिए। हर समय बंद रहने वाले कमरे (चाहे उनमें AC लगा हो और एक सुहावनी ठंडक बनी रहती हो) पर ये कमरा बहुत प्रदूषित होता हैं। आर्टिफीशिअल रूम फ्रेशनर छिड़क कर आप महक तो ला सकते हैं पर ताज़ी हवा की ऊर्जा वहां नहीं होती। इसलिए दिन में कुछ देर अपने कमरे की खिड़कियां-दरवाजे जरूर खुले रखें ताकि ताज़ी हवा का आवागमन हो सके।सोने से एक घंटा पहले सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों लैपटॉप फ़ोन आदि को बंद कर दें। या अपने से दूर रख दें, इस समय आपको इनका उपयोग नहीं करना हैं।आपके बिस्तर (bed) का उपयोग सिर्फ आराम करने के लिए होना चाहिए इस पर अन्य कोई सामान ना रखें। अन्य कोई सामान यहाँ रखना या कोई और कार्य यहाँ करना जैसे ऑफिस का काम या कोई भी ऐसा काम जो आपको तनाव देता हैं उसे अपने बिस्तर पर कभी ना करें। जहाँ भी आप तनाव वाले काम करते हैं उस स्थान पर आपकी वे तनाव वाली vibrations मौजूद रहती हैं और जब आप वह काम नहीं भी कर रहे होते तब भी वे आपको प्रभावित कर रहीं होती हैं। इसलिए बिस्तर (bed) का उपयोग सिर्फ और सिर्फ आराम करने के लिए होना चाहिए।सोने से पहले के इस एक घंटे में आप कोई अच्छा संगीत सुन सकते हैं, कोई अच्छी किताब पढ़ सकते हैं और सबसे अच्छी बात की ध्यान (meditation) कर सकते हैं। ध्यान (meditation) डिप्रेशन के लिए रामबाण उपाय हैं।
4. अपनी खान पान की आदतों पर काम कीजिये -विभिन्न शोध यह प्रमाणित कर चुके हैं की हमारे भोजन का हमारी मनःस्थिति से सीधा सम्बन्ध हैं (अधिक जानकारी के लिए पढ़िए है आपमें Guts? पर… Guts मतलब?). प्रोबायोटिक आहार, ओमेगा-3 और फाइबर युक्त आहार अच्छा रहता हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं –
- हरी पत्तेदार सब्जियां, अखरोट, दही, छाछ, मटर, पत्तागोभी, टमाटर, मशरूम, beans, पनीर, खमीर उठाया हुआ भोजन जैसे इडली, सोयाबीन, अलग अलग तरह के अनाज (जौं, बाजरा, मक्का), Avocado, blue berries, raspberries, strawberries, और blackberries, chia seeds, अलसी के बीज (flex seeds), पटसन के बीज (hemp seeds).
- किसी भी तरह के मल्टीविटामिन कैप्सूल्स शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- शराब, सिगेरट के सेवन न करें।
- एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचें। मौसमी जुकाम, बुखार आदि 4-5 दिन के विश्राम और हलके सुपाच्य भोजन द्वारा स्वतः ही ठीक हो जाते हैं इसलिए हर बार एंटीबायोटिक्स ना लें।
5. कामों को टालने की आदत से बचें – डिप्रेशन के चलते हर वक़्त थकान महसूस होती रहती हैं, किसी काम में एकाग्र होना दुश्वार लगता हैं इसलिए कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती और काम को टालने की आदत बन जाती हैं। पर यही टाले हुए कामों का अम्बार डिप्रेशन को और भी बढ़ाने का कार्य करता हैं। बढ़ते हुए कामों का ढेर ग्लानि, चिंता और तनाव को और भी बढ़ाता हैं।
इसके लिए जरुरी हैं की अपने हर काम को छोटे छोटे हिस्सों में बाँट लें और जो काम जरुरी हो उन्हें पहले करें। जैसे यदि आम तौर पर आप आप सुबह सिंक से या डिश वाशर से बर्तन निकल कर अलमारी में लगाती हैं, साफ़ सफाई का काम करती हैं तो अब सुबह पहले खाना बनाएं। खाना बनाने का पूरा काम एक बार में न करें, सब्जियां काट के रखने का काम पिछली रात को या पिछली शाम को ही कर के रखा जा सकता हैं।कटी हुई सब्जिया एयर टाइट कंटेनर में फ्रिज में रखी जा सकती हैं, किसी दिन काफी सारी ग्रेवी बना कर फ्रीजर में रख दें फिर आवश्यकता अनुसार मात्रा में उसका उपयोग करें। इस से खाना बनाने का पूरा काम एक साथ करने का बोझ मन पर नहीं आएगा।
सिंक और स्लैब पर फैले बर्तन, फर्श पर – सोफे पर – बेड पर बिखरे पड़े कपड़े ये सब आपके मन को और भी भारी करते हैं। नज़र जहाँ तक जाये उसे वहां का दृश्य सुहाए ऐसी व्यवस्था कीजिये। इस से मन को शांति मिलती हैं।
इसके लिए दिन में कई बार उठ कर थोड़ा थोड़ा चलते रहने की आदत डालें और जब भी एक जगह से दूसरी जगह जाएँ तो कुछ ना कुछ सामान उठा कर व्यवस्थित जगह पर रखती रहें। इससे घर बिखरा हुआ नहीं रहेगा याद रखिये आस पास अस्त व्यस्त पड़ा सामान दिमाग पर तनाव और विचारों की उलझन बहुत बढ़ा देता हैं। इसलिए थोड़ा थोड़ा ही सही पर घर को व्यवस्थित करते रहें।
6. दिन में एक बार आपको पसीना आना चाहिए – ये पसीना गर्मी से नहीं बल्कि कसरत (exercise) से आना चाहिए। कोई भी एक्सरसाइज चाहे आप 10-15 मिनट के लिए करें पर वे मात्र चहलकदमी नहीं होनी चाहिए। पसीना आने का अर्थ हैं हमारा शरीर थका हैं और इस समय शरीर को रिलैक्स करने वाले हार्मोन्स का स्रवण शुरू हो जाता हैं। इन्हीं हार्मोन्स की इस समय बहुत जरुरत होती हैं।
कसरत से रक्त संचार तेज हो जाता हैं और शरीर की हर कोशिका को रक्त पहुँचता हैं रक्त के साथ ऑक्सीजन और रिलैक्स वाला हार्मोन्स दिमाग की कोशिकाओं को मिलता हैं और हमारी नर्वस को सुकून से रहने का सन्देश जाता हैं। ये बहुत कारगर तरीका हैं तनाव कम करने का। योग और प्राणायाम भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं।
7. अपनी खुशियों के पिटारे को पास रखिये – खुशियों का पिटारा यानि कोई भी चीज/काम/बात जो आपको अच्छी लगती हो। ये आपकी पसंद के गाने (संगीत) हो सकते हैं, ये आपके पालतू जानवर कुत्ता/बिल्ली जो भी आपको प्रिय हो के साथ खेलना या उसे पुचकारना हो सकता हैं, गर्म पानी का शॉवर स्नान हो सकता हैं, कोई किताब पढ़ना हो सकता हैं।
अपने घर में छोटे-छोटे गमलों में ही सही पर पौधे लगाइये। उन्हें पानी देना, बढ़ते हुए देखना बहुत ऊर्जादायी होता हैं। चिड़ियों के लिए दाना पानी रखिये उनका रोज आना चहचहाना ये सब आपको जिंदगी की खूबसूरती से जोड़े रखता हैं। प्रकृति से जुड़ना हमारे मन के एक कोने को बहुत कोमल प्रेम से भर देता हैं। इसी प्रेम में वो ऊर्जा हैं जिसकी इस समय आपको सबसे अधिक आवश्यकता हैं! याद रखिए निःस्वार्थ प्रेम संजीवनी हैं…और इस संजीवनी के आगे डिप्रेशन तो बहुत छोटी चीज हैं 🙂